8TH SEMESTER ! भाग- 89( A Lip of Heart-2)
"किस फिल्म का टिकट सर..."
जहाँ पर मूवी के पोस्टर्स लगे हुए थे उसी के बगल मे टिकेट काउंटर था, मैं एक बार फिर वापस आकर पोस्टर्स को देखने लगा और उसके बाद जैसे ही मुड़ा तो नीचे वाले फ्लोर पर मुझे निशा दिखाई दी लेकिन साथ मे उसके पेरेंट्स भी थे...
"कमाल है मैं इधर डेढ़ घंटे से कॉफी पी-पी कर उसका इंतज़ार कर रहा हूँ और ये इधर अपनी शादी के लिए फैमिली शॉपिंग कर रही है...अभी बताता हूँ इस डायन को..."बोलते हुए मैं लिफ्ट से नीचे आया लेकिन तब तक निशा अपने पेरेंट्स के साथ ब्राइडल वेअर शॉप के अंदर चली गई और उनके पीछे-पीछे मैं भी अंदर जा पहुचा...
ब्राइडल वेअर का शॉप बहुत बड़ा था और वहाँ भीड़ भी बहुत थी,लेकिन उस भीड़ मे निशा को मैने बहुत जल्दी ढूँढ लिया. निशा माल ही ऐसी थी कि उसे कोई दूर से देख ले 😜 ऊपर से ..वो कुछ ले भी नही रही थी.. वो तो बस इधर से उधर घूम-फिर रही थी...उसके पेरेंट्स उससे थोड़ी दूर मे थे....वो जब अपने पेरेंट्स से थोड़ी और दूर मेरी तरफ आ गयी तो मैं उसके सामने गया और उसका हाथ पकड़कर वहाँ से बाहर ले आया....
"अरमान तुम यहाँ...???"
"मैं यहाँ दो घंटे से हूँ,..."
"सॉरी अरमान, मेरे मॉम -डैड ने मुझसे पुछा कि मैं मॉल क्या करने जा रही हूँ तो मैने ऐसे ही कह दिया मूवी देखने...और फिर वो भी मेरे साथ आ गये..."
"और तेरा नंबर क्यूँ बंद है... "
"डैड को शायद मज्झेपार शक हो गया है, उन्होंने मेरी पुरानी सिम तोड़कर फेक दी यहाँ से आने के पहले...मैं अपना न्यू नंबर दूं..??."
"अभी रहने दे...चुप चाप चल मेरे साथ..."
"कहाँ..."लिफ्ट के अंदर आते हुए वो बोली"मॉम -डैड गुस्सा करेंगे...."
"तेरे मॉम -डैड की तो...."जब निशा ने मुझे घूरा तो मुझे बीच मे ही रुकना पड़ा....
"मैं कार लेकर आया हूँ ,वही चलकर बात करते है..."मैने आगे कहा
"कार मे... "
"क्या हुआ..."
"कार मे क्यूँ..."
"सेक्स करने के मूड मे हूँ..... अब चले...? इतना सवाल कर रही है फालतू मे.."
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"मोबाइल स्विच ऑफ कर दे और जब वापस जाए तो ये बहाना मार देना कि बाथरूम गयी थी और mobile कि बैटरी खत्म हो गई थी..."
"ओके..."
मै और निशा वहा से बचते -बचाते पार्किंग मे कार के अंदर घुसे, जहा मैं उससे सट कर बैठ गया... इस आस मे की क्या पता शायद निशा का मूड बन जाए और वो मुझे वो करने दे... जो अकसर लड़किया करने नहीं देती...
"हां बोल,क्यूँ मिलना था मुझसे..."मैने निशा से पूछा
"मैं यही बोलना चाह रही हूँ कि हालत बिगड़ते जा रहे है...हमे भाग जाना चाहिए..."
"अच्छा... क्या प्लान है और भाग कर कहाँ जाना चाहिए...?? स्विट्ज़र्लॅंड चले या फिर यूएसए या फिर जापान या इंग्लेंड या चाइना "
"कहीं भी भाग जाएँगे...ये दुनिया बहुत बड़ी है..."अपने दोनो हाथ को फैलाते हुए वो खुशी से बोली...
"एक थप्पड़ मारूँगा तो सारा फिल्मी जूनूर सर से उतर जाएगा..."
अब मैं उसे कैसे बताता कि मैं तो खुद घर से भागकर यहाँ आया हुआ हूँ और अब यहाँ से भागकर कहा जाउ...
"तो फिर तुमने क्या सोचा..."
"मुझे कुछ दिन का टाइम दो, मैं कुछ सोच लूँगा और अब जब सेक्स तू करने नहीं वाली तो एक kiss देके कल्टी हो...तेरे घरवाले हंगामा मचा रहे होंगे... मॉल मे "
"तो मैं जाऊ...?"
"हां..."
"पक्का मे जाऊ..."
"हां... जा ना..."
"सच मे जाऊ..."
"अब खून से लिख के दू क्या.. चल भाग ."
"एक चुम्मी दो ना..."
"ओ तेरी "निशा के ये अल्फाज सुनते ही मेरे होंठो पे मुस्कान आ गई और दुनियाभर की सारी टेंशन एक पल के लिए, एक पल मे दूर हो गई... सच बता रहा हूँ मैं,लड़कियों... लड़कियों को ऐसा ही होना चाहिए... जो टेंशन देने कि बजाय टेंशन उतारे..फालतू का भाव खाने से कोई मतलब नहीं...
निशा को एक किस देने के बाद मैने कार अपने फ्लैट की तरफ घुमाई...अब निशा और मेरा मामला बहुत सीरीयस हो गया था... जो आने वाले दिनो मे और भी सीरियस होने वाला था...मुझे डर बस इसी बात का था कि जिस दिन उसके बाप को मालूम चलेगा कि मैं उसकी बेटी के साथ उसी के घर मे क्या करता हूँ तो यक़ीनन वो मुझे उसी वक़्त गायब करवा देगा और मेरा वो हश्र करेगा जो मैं सोच भी नही सकता...मुझे निशा से सॉफ कह देना चाहिए था कि वो अपना रास्ता नापे और आज के बाद मुझे कांटेक्ट ना करे ,इसी मे मेरी भलाई थी...लेकिन मैने ऐसा कुछ भी नही किया,मैने ऐसा कुछ करने की कोशिश तक नही की....जिसकी वजह ये हो सकती थी कि शायद मैं भी वही चाहता हूँ जो निशा चाहती है.. .लेकिन मैं 100% श्योर नही था ,इसलिए मैने खुद को अभी तक रोक रखा था....लेकिन अब वक़्त रुकने का नही था क्यूंकी मेरे पास अब सिर्फ़ उंगलियो मे गिने हुए दिन ही बाकी थे...
और यदि दिल की बात कहु तो निशा मुझे अब अच्छी लगने लगी थी ,इसमे कोई दो राय नही थी. पिछले कुछ दिनो मे मैने निशा का एक अलग ही रूप देखा था, उसका ये नया रूप ठीक वैसा ही था जैसा कि मुझे एक लड़की मे पसंद था...वो मुझसे प्यार करती थी ,अच्छा ख़ासा बोर यानी की पकाती भी थी और मेरे द्वारा डायन कहने पर वो गुस्सा भी नही होती थी....पिछले कई दिनो मे कई बार मेरा लेफ्ट साइड भी निशा के लिए धड़का था और यदि इस वक़्त मेरे सामने उसका बाप ना होता और मैं अच्छी-ख़ासी नौकरी कर रहा होता तो बिना एक पल गवाए उससे शादी कर लिया होता...पर सच ये था कि ऐसा कुछ भी नही था...उपर से मेरा दिमाग़ निशा के उस बात पर अटका हुआ था जिसमे वो बोली थी कि मेरे सिवा और किसी के साथ उसने आज तक सेक्स नही किया था.....निशा के इस भारी-भरकम और दिल की धड़कनो को तेज़ कर देने वाले स्टेट्मेंट को चेक करने के लिए मुझे फ्लश-बैक मे जाना था ,जहाँ वो अक्सर सेक्स करते वक़्त कुछ लड़को के नाम बताया करती थी......
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मैं अपने रूम तक पहुच चुका था और फ्लश बैक मे जाने की तैयारी कर रहा था,मैने आँखे बंद की और निशा के साथ उसके बिस्तर पर बिताए गये गरम लम्हो को याद करने लगा....निशा के साथ अपनी पिछली यादो को ताज़ा करने के बाद मुझे याद आया कि वो एक लड़के का नाम बहुत बार लिया करती थी और इसके लिए याददाश्त का तेज़ होना बहुत ज़रूरी था, जो की मेरी बहुत पहले से थी
"विष्णु.."नाम याद करते हुए मैने कहा...
"नही विष्णु नही कुछ और नाम था उसका...विशाल..ये भी नही....कुछ अलग ही नाम था...क्या था उस घोनचू का नाम...
"याद आया, विश्वकर्मा...इसी नाम को वो बार-बार लेते हुए गाली बकती थी...."
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"अरमान तू आज उपर आ..."बाल्कनी से अपना गला फाड़ते हुए वरुण ने मुझे धमकी दी....
"इतना ज़्यादा प्यार तो इसे मुझपर पहले कभी नही आया...कही इसे मालूम तो नही चल गया कि मैं इसे एडा बनाकर इसकी कार ले गया था.... तब तो खून कर देगा ये मेरा "
"तूने साले मुझसे झूठ बोला कि मेरी gf दो-दो लड़को के साथ सेट है...ताकि तू अपनी वाली से मिलने के लिए मेरी कार ले जा सके..??."
"ह्म्म्म्म ....हां... शायद "
"देखा... वरुण मैने सही कहा था.ना ."अरुण बीच मे बोला"कि ये साला बहुत चकमा देता है, अच्छा हुआ जो मैने तुझे इसके बारे मे बता दिया,वरना आज ही तेरी सेट्टिंग टूट जाती..."
"मेरे जाने के बाद हुआ क्या..."
"मैं बताता हूँ..."मेरी गर्दन दबाते हुए अरुण बोला"तेरे जाने के बाद वरुण बहुत उदास था कि उसकी आइटम ने उसको धोका दिया और उसने ये भी बताया कि उसे इस धोखे की खबर तूने कार माँगते वक़्त दी...तभिच अपुन सब समझ गया और मैने वरुण अंकल को उसकी आइटम से बात करने को कहा...जानता है हमे क्या मालूम चला..."
"क्या..."
"यही कि वो दो दिन से आउट ऑफ सिटी थी और आज ही नागपुर आई है...बेटा तेरी रग-रग से वाकिफ़ हूँ ,अपुन के साथ ज़्यादा शान-पट्टी नही करने का...अब तू ये बता कि तू वरुण की कार लेकर कहाँ उड़ रहा था..."
"एक प्राब्लम है यार..."
"कैसी प्राब्लम..."
"निशा की दो हफ्ते बाद शादी है और वो मुझसे भागने के लिए कह रही है..."
"दिमाग़ सठिया गया है क्या तेरा "मुझे नीचे गिराकर अरुण ने कहा
"अबे गधे, उसके बाप के बारे मे नही मालूम क्या...पिछवाड़ा तोड़ देगा तेरी..."वरुण गुस्से मे बोला..
"इसीलिए मैने उसे उसी वक़्त मना कर दिया था जब उसने मुझसे ये बात कही थी..."
"गुड..."
"लेकिन मैने निशा से ये भी कहा था कि मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ निकाल लूँगा..."
"कैसा जुगाड़ "
"अपन दोनो की शादी का...लेकिन उससे पहले एक काम करना है..."ग्लास मे पानी डालते हुए मैं बोला"निशा के बारे मे कुछ पता करना है..."
"साला , खुद का ठिकाना नही और शादी करने चला है..."मेरे हाथ से पानी का ग्लास छीन कर अरुण बोला"इस लौंडिया से मिला तो मुझे ,अभी साली को दवाई दे देता हूँ,बड़ी आई शादी करने वाली...वैसे वो एक काम कौन सा है..."
"काम नही प्राब्लम है वो भी एक नही तीन-तीन...पहला ये कि वो एक क्रिस्चियन है ,दूसरा उसका रहीस बाप और तीसरा मुझे ये मालूम करना है कि निशा ने मुझसे जो कुछ भी कहा वो सच है या नही..."
"क्या कहा उसने..."
"वो मैं तुझे क्यूँ बताऊ...बस तू एक काम कर,मैं एक लड़के का नाम बताता हूँ तू फ़ेसबुक मे उसके नेम के आगे नागपुर लिखकर सर्च मार..."
Ammar khan
30-Nov-2021 09:45 AM
بہت عمدہ
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Raghuveer Sharma
27-Nov-2021 01:31 PM
waah kya gajab ka likha hai aapne👌
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